निर्भया के दोषियों को दी गई फांसीl Hanged to the Rapists of Nirbhaya
7 साल 3 महीने 3 दिन का लंबा इंतजार करना पड़ा. निर्भया के चारों गुनहगारों को सुबह 5:30 बजे फांसी के फंदे पर लटका दिया गया. चारों गुनहगारों को एक साथ फांसी दे दी गई. चारों को फांसी देने की जगह तिहाड़ जेल नंबर 3 में फांसी दे दी गई.
अब हम आपको निर्भया केस की हिस्ट्री के बारे में बताते हैं:
16 दिसंबर की वो काली रात निर्भया के साथ अपराध किया गया था. उस दिन को कोई नहीं भुला सकता. भारत की राजधानी दिल्ली के अंदर खौफनाक अपराध करने की जानकारी दिल्ली पुलिस को जैसे ही मिली पुलिस हरकत में आ गई. सबसे पहले उस बस को सर्च किया गया था जिसका रंग सफेद था. दिल्ली पुलिस को गवाह मिला था जिसने उस बस को देखा था. गवाह के कहने पर ही सफेद सफेद बस को सर्च किया गया था जिसमें कुछ गुनहगाराें ने अपराध किया था. 16 दिसंबर की रात 9:30 बजे इस वारदात को अंजाम दिया गया था. दिल्ली पुलिस ने बड़ी कार्यवाही करते हुए अगले दिन 17 दिसंबर की शाम के टाइम 5:30 बजे के आसपास राम सिंह नाम का आरोपी दिल्ली पुलिस ने अरेस्ट कर लिया था. दिल्ली पुलिस द्वारा राम सिंह को गिरफ्तार किए जाने के बाद धीरे-धीरे दिल्ली पुलिस ने सभी आरोपियों को पकड़ लिया था. धीरे-धीरे यह केस खुलता चला गया तथा पुलिस के सामने और सच्चाई सामने आ गई. निर्भया केस से जुड़ी हुई थीे धीरे-धीरे यह केस ओपन होता चला गया. दिल्ली पुलिस प्रशासन ने अपनी बड़ी कार्रवाई करते हुए 17 दिनों में चार्जशीट दाखिल की गई.
फांसी देने से पहले प्रक्रिया क्या होती है:
- कोर्ट के द्वारा डेथ वारंट जारी होने के बाद सबसे पहले फांसी की तैयारी शुरू हो जाती है.
- डेथ वारंट जारी होने के बाद सबसे पहले फांसी पर चढ़ने वाले गुनहगारों की सुरक्षा चाक चौबंद कर दी जाती है. क्योंकि अपराधी खुद को किसी प्रकार का नुकसान ना पहुंचा पाए.
- डेथ वारंट जारी होने के बाद ही अपराधियों को सेल में से निकाल कर काल कोठरी में भेज दिया जाता है. कालकोठरी एक छोटा सा कमरा होता है, कालकोठरी सबसे अलग ही होती है वहां पर बस उनको ही रखा जाता है जिनके कोर्ट द्वारा फांसी के वारंट जारी के किए गए हो तथा कालकोठरी की सुरक्षा भी बढ़ा दी जाती है. हर समय उनके ऊपर सुरक्षाकर्मियों की निगरानी होती है.
- कोर्ट के वारंट जारी होने के बाद ऐसे अपराधियों के ऊपर गहरी नजर होती है तथा उनके पास से ऐसी चीजों को भी हटा दिया जाता है जिससे कि वे अपने आप को किसी प्रकार का नुकसान न पहुंचा सकें. उनके कपड़ों पर भी पूरा ध्यान दिया जाता है उनको पहनने के लिए ऐसा पजामा नहीं दिया जाता है जिसमें नाडा हो ऐसा इसलिए किया जाता है कि अपने आप को किसी प्रकार का नुकसान न पहुंचा ले .
- अपराधियों की पहरेदारी में सुरक्षाकर्मियों की तैनाती हर 2 घंटे में बदल दी जाती है ताकि सुरक्षाकर्मियों द्वारा किसी प्रकार की कोई चूक नहीं हो जाए.
- हर 24 घंटे में अपराधी को काल कोटडी से सिर्फ 30 मिनट के लिए बाहर निकाला जाता है ताकि किसी प्रकार की घटना को अंजाम न दे सके.
- फांसी से पहले दो चीजों का सबसे अहम योगदान होता है एक तो जल्लाद और दूसरा अहम योगदान रस्सी का होता है जिनके द्वारा फांसी दी जाती है ये कोई नॉर्मल रस्सी नहीं होती है यह विशेष रस्सी बिहार की जेल में कैदियों द्वारा ही बनाई जाती है.
- फांसी देने से पहले रस्सी द्वारा ट्रायल किया जाता है. अपराधी का वजन लंबाई तथा गर्दन का नाप लेकर एक पोटली को तैयार किया जाता है फिर उस पर ट्रायल किया जाता है ताकि फांसी देते समय किसी प्रकार की समस्या का सामना ना करना पड़े.
- फांसी की रस्सी की लंबाई अपराधी की लंबाई व वजन के हिसाब से होती है. ऐसा कहा जाता है कि तकते पर अपराधी को खड़ा करते हुए फांसी दी जाती है उसके नीचे जो गड्ढा होता है उसकी गहराई 15 फुट की होती है ताकि फांसी देने के बाद अपराधी के पैर व जमीन के बीच में गैप हो.
भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार माना जाएगा कि 4 लोगों को एक साथ फांसी दी गई है परंतु 37 साल पहले ऐसा भी हुआ था कि दो लोगों को एक साथ फांसी दी गई थी जिनका नाम रंगा व बिल्ला था